दिल्ली यूनिवर्सिटी में हड़कंप: रामजस और देशबंधु कॉलेज को बम धमकी, छात्रों को बाहर निकाला गया | India Zee News

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दिल्ली यूनिवर्सिटी में दहशत: रामजस और देशबंधु कॉलेज को बम धमकी ईमेल, पूरा कैंपस खाली कराया गया

अपडेटेड: शाम 3:44 बजे IST

दिल्ली यूनिवर्सिटी रामजस कॉलेज बम धमकी [web:11][web:12]

नई दिल्ली। दिल्ली यूनिवर्सिटी के दो प्रमुख कॉलेजों, रामजस कॉलेज (उत्तर कैंपस) और देशबंधु कॉलेज (कalkाजी) में आज सुबह भारी हड़कंप मच गया। दोनों कॉलेजों को रात करीब 2 बजे बम धमकी भरे ईमेल प्राप्त हुए, जिसके बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए पूरे कैंपस को खाली करा दिया। छात्रों और स्टाफ को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया, जबकि बम डिस्पोजल स्क्वॉड, डॉग स्क्वॉड और फायर टेंडरों ने कैंपस की बारीकी से तलाशी ली। [web:11][web:12][web:13]

कैसे शुरू हुई यह घटना?

रामजस कॉलेज के प्रिंसिपल अजय अरोड़ा ने बताया कि सुबह करीब 8 बजे ईमेल की जानकारी मिली। कॉलेज में प्रैक्टिकल परीक्षाएं निर्धारित थीं, लेकिन धमकी मिलते ही सभी को बाहर निकाल दिया गया। इसी तरह देशबंधु कॉलेज के प्रिंसिपल राजेंद्र पांडे ने कहा कि वे बम स्क्वॉड की क्लियरेंस का इंतजार कर रहे हैं। डिप्टी पुलिस कमिश्नर (उत्तर) राजा बनthia ने पुष्टि की कि धमकी ईमेल रात 1:59 बजे भेजे गए थे। अभी तक कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली है, लेकिन जांच जारी है। [web:13][web:15][web:16]

ये धमकियां दिल्ली में हाल के दिनों में बढ़ रही ऐसी घटनाओं का हिस्सा लग रही हैं। 10 नवंबर को रेड फोर्ट के पास धमाका हुआ था, उसके बाद 20 नवंबर को चाणक्यपुरी के ब्रिटिश स्कूल, संस्कृति स्कूल, बाराखंबा रोड का मॉडर्न स्कूल और डून स्कूल को धमकियां मिली थीं। 18 नवंबर को साकेत, रोहिणी और पटियाला हाउस कोर्ट सहित दो सीआरपीएफ स्कूलों को जैश-ए-मोहम्मद के नाम से धमकी मिली, जो बाद में नकली साबित हुई। [web:13][web:15]

पुलिस की त्वरित प्रतिक्रिया

दिल्ली पुलिस ने फौरन एक्शन लिया। रामजस कॉलेज में बम डिटेक्शन टीम (BDT), बम डिस्पोजल स्क्वॉड (BDS) और स्थानीय पुलिस पहुंची। कैंपस को सील कर दिया गया और एंटी-सबोटाज चेकिंग शुरू हो गई। देशबंधु कॉलेज में भी यही प्रक्रिया अपनाई गई। छात्रों ने सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर किए, जिसमें हड़बड़ी में भागते छात्र दिख रहे हैं। पुलिस ने कहा कि ईमेल ट्रेस करने की कोशिश हो रही है, संभवतः VPN का इस्तेमाल हुआ हो। [web:11][web:12][web:14]

  • धमकी ईमेल: आधिकारिक आईडी पर रात 2 बजे प्राप्त।
  • एवेकुएशन: सुबह 8-10 बजे तक पूरा कैंपस खाली।
  • सर्च ऑपरेशन: बम स्क्वॉड, डॉग स्क्वॉड, फायर ब्रिगेड सक्रिय।
  • नतीजा: अभी तक होक्स लग रही, लेकिन सतर्कता बरतना जरूरी।

छात्रों और शिक्षकों पर असर

रामजस कॉलेज के छात्रों ने बताया कि परीक्षाएं रद्द हो गईं, जिससे निराशा हुई। एक छात्रा ने कहा, "हम क्लास में थे, अचानक अलार्म बजा और सब भागने लगे। डर तो बहुत लगा।" देशबंधु कॉलेज में भी यही स्थिति रही। DU प्रशासन ने सभी कॉलेजों को अलर्ट जारी किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि ये धमकियां साइबर अपराधियों द्वारा मनोरंजन या डराने के लिए भेजी जाती हैं, लेकिन हर बार गंभीरता से लिया जाता है। [web:15][web:13]

पिछले महीनों में दिल्ली में 20 से ज्यादा कॉलेजों को ऐसी धमकियां मिल चुकी हैं, जैसे जीसस एंड मैरी, आर्यभट्ट और मोतीलाल नेहरू कॉलेज। अगस्त में सेंट स्टीफंस और जामिया को भी निशाना बनाया गया। ये घटनाएं शिक्षा संस्थानों की सुरक्षा पर सवाल उठा रही हैं। [web:17][web:18][web:19]

सरकार और पुलिस क्या कर रही है?

दिल्ली सरकार ने साइबर सेल को निर्देश दिए हैं कि ऐसे ईमेल भेजने वालों को पकड़ा जाए। सितंबर में दिल्ली सचिवालय और दो मेडिकल कॉलेजों को भी धमकी मिली थी, जो होक्स निकली। पुलिस अब IP ट्रैकिंग और सर्वर जांच पर जोर दे रही है। DU वीसी ने कहा कि छात्रों की सुरक्षा पहली प्राथमिकता है। [web:20][web:13]

यह घटना दिल्ली-NCR में सुरक्षा जागरूकता बढ़ाने का संकेत है। अभिभावक चिंतित हैं, लेकिन पुलिस का कहना है कि ज्यादातर होक्स ही होते हैं। जांच पूरी होने पर अपडेट दिए जाएंगे। India Zee News इस मामले की ताजा जानकारी देता रहेगा। [web:11][web:12]

निष्कर्ष और सलाह

शिक्षा संस्थानों को अब साइबर सिक्योरिटी मजबूत करने की जरूरत है। छात्रों से अपील है कि संदिग्ध ईमेल फॉरवर्ड न करें। पुलिस की मेहनत सराहनीय है, जो हर धमकी को गंभीरता से लेती है। क्या ये धमकियां किसी बड़े साजिश का हिस्सा हैं? समय बताएगा। (कुल शब्द: 812)

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छठ पूजा और सोनपुर मेले में मशरूम पकोड़ा, लिट्टी-चोखा जैसी देसी डिशेस का ट्रेंड

India Zee News छठ पूजा और सोनपुर मेले में मशरूम पकोड़ा, लिट्टी-चोखा जैसी देसी डिशेस का ट्रेंड

छठ पूजा और सोनपुर मेले में मशरूम पकोड़ा, लिट्टी-चोखा जैसी देसी डिशेस का ट्रेंड

लेखक: India Zee News | दिनांक: 25 नवंबर 2025

भारत के त्योहार और मेले परंपरागत व्यंजनों के त्योहार भी होते हैं। खासकर बिहार और उत्तर बिहार के प्रसिद्ध छठ पूजा और सोनपुर मेला में जहां लोग स्नेह और श्रद्धा के साथ भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं, वहीं इन त्योहारों के दौरान मशरूम पकोड़ा, लिट्टी-चोखा जैसे पारंपरिक देसी पकवानों का चलन तेजी से बढ़ा है। इस साल भी इन स्वादिष्ट व्यंजनों ने अपनी अलग पहचान बनाई है और हर उम्र के लोग इसे खाने का मज़ा ले रहे हैं।

छठ पूजा और सोनपुर मेला: एक सांस्कृतिक और पाक उत्सव

छठ पूजा बिहार का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है जिसमें सूर्य देव की पूजा की जाती है। इसी दौरान सोनपुर मेला भी लगता है, जो देश के सबसे बड़े पशु मेले में से एक है। इस मेले में देश भर से लोग आते हैं और दिव्य वातावरण के साथ-साथ स्थानीय खाने का आनंद भी उठाते हैं। पारंपरिक व्यंजनों में मशरूम पकोड़ा और लिट्टी-चोखा का खास महत्व है जो त्योहारों के स्वाद को ओर बढ़ा देते हैं।

मशरूम पकोड़ा, जिसमें ताजा मशरूम को मसालों के साथ मुलायम घोल में डुबोकर तला जाता है, बिहार के कई क्षेत्रों में बहुत पसंदीदा है। वहीं, लिट्टी-चोखा अपने सादे स्वाद और पौष्टिकता के कारण हर घर में बनाया जाता है। यह व्यंजन खासकर त्योहारों पर भुना हुआ सत्तू और आलू की चटनी के साथ खाया जाता है, जो इसे और भी स्वादिष्ट बनाता है।

मशरूम पकोड़ा: छठ पूजा का नया ट्रेंड

पिछले कुछ वर्षों में मशरूम पकोड़ा ने छठ पूजा व्यंजनों में अपनी जगह बना ली है। मशरूम की पौष्टिकता और उसका हल्का स्वाद इसे त्योहार के दौरान खाने वाला परफेक्ट स्नैक बनाता है। स्थानीय बाजारों में भी मशरूम पकोड़ा की डिमांड में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है।

मशरूम पकोड़ा बनाने में इस्तेमाल होने वाले मसाले और तला हुआ पकोड़ा दोनों ही लोगों को आकर्षित करते हैं। यह न सिर्फ स्वादिष्ट होता है बल्कि शरीर को आवश्यक पोषक तत्व भी प्रदान करता है। साथ ही, यह व्यंजन शाकाहारी लोगों के लिए भी उपयुक्त विकल्प है।

परंपरागत लिट्टी-चोखा: बिहार की शान

लिट्टी-चोखा को बिहार का पारंपरिक व्यंजन माना जाता है। यह व्यंजन चावल और गेहूं पर आधारित अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना में बेहद पौष्टिक और सरल होता है। सत्तू से भरी हुई लिट्टी को घी के साथ गरमागरम परोसा जाता है और इसे ताजा आलू, बैंगन, या टमाटर के चोखा के साथ खाया जाता है।

छठ पूजा के दौरान लिट्टी-चोखा का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह स्वादिष्ट होने के साथ-साथ उपवास के नियमों का भी पालन करता है। इसका अगाध सांस्कृतिक महत्व भी है जो इसे हर घर में त्योहार की याद दिलाता है।

ट्रेंडिंग फूड्स के बीच परंपरागत स्वाद

आज के दौर में जहां फास्ट फूड्स और विदेशी व्यंजन तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं, वहीं छठ पूजा और सोनपुर मेले जैसे त्योहारी आयोजनों में देसी और पारंपरिक व्यंजनों की लोकप्रियता बनाए रखना एक सुखद संदेश है। लोगों में अपने रिवाजों और संस्कृति के प्रति जागरूकता बढ़ी है, जिसके चलते मशरूम पकोड़ा, लिट्टी-चोखा जैसी डिशेस न सिर्फ बच्चों और बुजुर्गों में बल्कि युवाओं में भी प्रिय बनती जा रही हैं।

यह भी ध्यान देने योग्य है कि कई फूड स्टालों और होम शेफ ने इन व्यंजनों में नए प्रयोग किए हैं, जिससे स्वाद और भी बेहतर हुआ है। उदाहरण के लिए, लिट्टी बनाते समय सूखे मसालों के साथ-साथ ताजा हर्ब्स का इस्तेमाल, या मशरूम पकोड़ों में अलग-अलग चटनी के विकल्प शामिल करना शामिल है।

स्वस्थ और स्वादिष्ट: त्योहारों का सही मेल

छठ पूजा और सोनपुर मेले में मशरूम पकोड़ा और लिट्टी-चोखा जैसी डिशेस का ट्रेंड यह भी दिखाता है कि आधुनिक खानपान के बावजूद पारंपरिक व्यंजनों की पौष्टिकता को लोग महत्व दे रहे हैं। ये व्यंजन ताजगी और स्वास्थ्य दोनों का मेल प्रस्तुत करते हैं और त्योहारों के अवसर पर परिवार और दोस्तों के साथ साझा करने के लिए अत्यंत उपयुक्त हैं।

इस सर्दी में जब लोग गर्म और पौष्टिक खाने की खोज में हैं, वहां ये व्यंजन स्वादिष्ट विकल्प के रूप में चमक रहे हैं। साथ ही, पर्यावरण के अनुकूल स्थानीय सामग्री का इस्तेमाल इन्हें और भी खास बनाता है।

India Zee News द्वारा रिपोर्ट। अधिक जानकारी और ताजा खबरों के लिए जुड़े रहें।

दिल्ली बम धमाके में बांग्लादेश कनेक्शन का खुलासा: हमले की प्लानिंग ढाका में हुई थी | India Zee News

India Zee News दिल्ली बम धमाके में बांग्लादेश कनेक्शन का खुलासा: हमले की प्लानिंग ढाका में हुई थी | India Zee News

दिल्ली बम धमाके में बांग्लादेश कनेक्शन का खुलासा; हमले की प्लानिंग ढाका में हुई थी

लेखक: India Zee News | प्रकाशित तिथि: 17 नवंबर, 2025

क्या है पूरा मामला?

दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए भीषण बम धमाके के बाद अब जांच एजेंसियों को इसमें पाकिस्तान के अलावा बांग्लादेश कनेक्शन के भी सबूत मिले हैं। सूत्रों के अनुसार बम धमाके से पहले बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक गुप्त मीटिंग हुई थी, जिसमें कई आतंकी संगठनों के लोग शामिल थे।
इस बैठक में पाकिस्तान आधारित लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर सैफुल्लाह सैफ, हिज्ब-उल-तहरीर के ढाका प्रमुख जुबैर अहमद, अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के सदस्य, और बांग्लादेश के कुछ सरकारी अधिकारी शामिल हुए। इसी बैठक में भारत में आतंकी हमलों के निर्देश जारी हुए। [web:1][web:3]

जांच में क्या आया सामने?

जांच एजेंसियों के मुताबिक विस्फोटकों की तस्करी बांग्लादेश से भारत में बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के रास्ते की गई थी। मुर्शिदाबाद में 'इख्तियार' नामक संदिग्ध आरोपी ने भारी मात्रा में विस्फोटक 'फरीदाबाद' तक पहुंचाया था। इन विस्फोटकों को ‘सेफ हाउस’ में रखा और फिर दूसरे सहयोगियों तक पहुंचाया गया। [web:4][web:10]
बांग्लादेश से जुड़े सभी ग्रुप्स की भूमिका को ध्यान में रखते हुए एजेंसियां ढाका और पाकिस्तान के बीच साजिश के सभी तार खंगाल रही हैं। माना जा रहा है कि दिल्ली धमाके की पूरी प्लानिंग ढाका में ही अंजाम दी गई थी, हालांकि जांच अभी जारी है।

कौन-कौन थे साजिशकर्ताओं में?

सूत्रों का दावा है कि अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में हुई ढाका बैठक में पाकिस्तान और बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठनों के वरिष्ठ लोग मौजूद थे। इसमें लश्कर-ए-तैयबा, अंसारुल्लाह बांग्ला टीम, और हिज्ब-उल-तहरीर के सदस्य शामिल थे। [web:1]
भारत के खिलाफ इस आतंकी हमले की रूपरेखा इन ही मुलाकातों में बनी थी। इसके लिए बांग्लादेश में मौजूद आतंकी लॉन्चपैड और भारत में कट्टरपंथी युवाओं की भर्ती की गई। [web:3]

सुरक्षा एजेंसियों ने उठाए कदम

दिल्ली धमाके के बाद रेलवे स्टेशनों, खासकर बंगाल के सियालदह और हावड़ा परिसरों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। सभी वाहनों की सघन तलाशी की जा रही है और संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। देश के अन्य प्रमुख स्थानों, सीमाओं पर भी अलर्ट जारी किया गया है। [web:4]

राजनीतिक और कूटनीतिक संदर्भ

लगातार हो रही आतंकी घटनाओं के तार जब पाकिस्तान से जुड़ते हैं, तो डिप्लोमेटिक स्तर पर टेंशन बढ़ जाती है। अब बांग्लादेश का नाम सामने आने से भारत की जांच एजेंसियां और सरकार सतर्क हो गई हैं। दोनों देशों के आतंकी नेटवर्क के बीच संबद्धता की विस्तृत जांच की जा रही है। [web:6]
यह भी चर्चा का विषय बन गया है कि क्या भारत विरोधी आतंकी नेटवर्क ने आपसी गठजोड़ कर लिया है? फिलहाल, जांच में इसी पर फोकस है।

आगे क्या हो सकता है?

जांच में कई स्तरों पर काम किया जा रहा है — संदिग्धों की तलाश, सीमा सुरक्षा का सख्त निरीक्षण, इंटरपोल सहयोग, और बांग्लादेश अधिकारियों से संपर्क। बम धमाके से जुड़े साजिशकर्ताओं की पहचान के लिए गहनता से जांच हो रही है।
एजेंसियों का कहना है कि जल्दी ही इस मामले में और बड़े खुलासे हो सकते हैं। भारत की सुरक्षा एजेंसियां पूरी सतर्कता और गंभीरता से मामला देख रही हैं, ताकि भविष्य में ऐसे आतंकी हमलों को नाकाम किया जा सके। [web:7]


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Disclaimer: यह समाचार रिपोर्ट सार्वजनिक स्रोतों और मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर तैयार की गई है। अधिक जानकारी के लिए आधिकारिक जांच एजेंसियों के बयान का इंतजार करें।

अमेरिका में ट्रंप प्रशासन का नया आदेश: फोस्टर केयर से बाहर आने वाले बच्चों के लिए

India Zee News अमेरिका में ट्रंप प्रशासन का नया आदेश: फोस्टर केयर से बाहर आने वाले बच्चों के लिए

अमेरिका में ट्रंप प्रशासन का नया आदेश: फोस्टर केयर से बाहर आने वाले बच्चों के लिए

India Zee News | 14 नवंबर 2025

अमेरिका में वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने एक महत्वपूर्ण नया आदेश जारी किया है, जिसका मकसद फोस्टर केयर से बाहर आने वाले बच्चों को बेहतर सहायता और सुरक्षा प्रदान करना है। यह नई नीतियाँ उन बच्चों के जीवन में स्थिरता लाने और उन्हें समाज में बेहतर तरीके से समायोजित करने के लिए बनाई गई हैं।

फोस्टर केयर क्या है?

फोस्टर केयर एक ऐसा सरकारी प्रोग्राम है जिसमें ऐसे बच्चे शामिल होते हैं जो किसी कारणवश अपने परिवार के साथ नहीं रह सकते। ये बच्चे फॉस्टर परिवारों या अथॉराइज्ड केयर तंत्र के माध्यम से अस्थायी संरक्षण में रहते हैं। लेकिन जब ये बच्चे 18 वर्ष की आयु या उससे ऊपर के हो जाते हैं, तो कई बार वे बिना किसी सहायता के अपने आप जीने के लिए छोड़ दिए जाते हैं।

नए आदेश की मुख्य बातें

ट्रंप प्रशासन ने इस समस्या को ध्यान में रखते हुए एक आदेश जारी किया है जो फोस्टर केयर से बाहर आने वाले बच्चों के लिए विशेष सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करता है। इसमें शामिल हैं:

  • आवास सहायता प्रदान करना ताकि बच्चे बिना घर के न रहें।
  • शिक्षा और पेशेवर प्रशिक्षण के लिए आर्थिक और सलाहकारी मदद।
  • मानसिक स्वास्थ्य सेवा और परामर्श उपलब्ध कराना।
  • रोजगार के अवसरों के लिए मार्गदर्शन और सहायता।
  • समाजिक और कानूनी सहायता प्रदान करना ताकि वे समाज में टिके रहें।

इस आदेश का बच्चों पर प्रभाव

यह आदेश फोस्टर केयर से बाहर आने वाले बच्चों की जिंदगी बदल सकता है। पहले जो बच्चे बिना किसी सहायता के बड़े हो जाते थे, अब उन्हें बेहतर भविष्य के लिए कई अवसर और संसाधन उपलब्ध होंगे। यह कदम बच्चों को सड़क पर छोड़ने की समस्या को कम करने के लिए है ताकि वे समाज की मुख्यधारा का हिस्सा बन सकें और अपनी पूरी क्षमता तक पहुंच सकें।

भारत सहित विश्व के लिए संदेश

यह फैसला न केवल अमेरिका में, बल्कि विश्वभर के लिए प्रेरणादायक है। कई देश ऐसे बच्चों की मदद के लिए बेहतर नीतियों की तलाश में हैं। भारत जैसे देशों में भी बाल संरक्षण और देखभाल को लेकर कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। अमेरिका का यह मॉडल अन्य देशों के लिए एक उदाहरण साबित हो सकता है।

कहां देखें और क्या करें?

यदि आप या आपके जानकार ऐसे बच्चों की मदद करना चाहते हैं तो स्थानीय सोशल सर्विस एजेंसियों या चैरिटी संस्थाओं से संपर्क करें। विशेष रूप से अमेरिका में रहने वाले लोग राष्ट्रपति प्रशासन के इस नए आदेश के तहत उपलब्ध सहायता का लाभ उठा सकते हैं।

लेखक: India Zee News

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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: एनडीए की प्रचंड जीत, महागठबंधन को बड़ा झटका

India Zee News बिहार विधानसभा चुनाव 2025: एनडीए की प्रचंड जीत, महागठबंधन को बड़ा झटका

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में NDA की प्रचंड जीत, महागठबंधन को बड़ा झटका

लेखक: India Zee News | तारीख: 14 नवंबर 2025

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने राजनीतिक परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया है। गठबंधन दलों के बीच कड़ी टक्कर के बीच, राष्ट्रीय जनता दल (NDA) ने शानदार प्रदर्शन करते हुए प्रचंड जीत हासिल की है। भाजपा और जदयू के संयुक्त रूप ने इस चुनाव को अपने पक्ष में कर लिया, जिससे महागठबंधन को बड़ा झटका लगा है और राजद-कांग्रेस गठबंधन को चुनाव में भारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है।

चुनाव आयोग द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, NDA ने लगभग 150 से अधिक सीटें जीती हैं, जो कि विधानसभा की कुल 243 सीटों में से एक स्पष्ट बहुमत दर्शाता है। भाजपा और जदयू ने मिलकर बिहार की जनता का विश्वास हासिल किया है, जो उनके विकास कार्यों और राजनीतिक रणनीतियों का नतीजा माना जा रहा है।

एनडीए की जीत के प्रमुख कारण

एनडीए की जीत के कई प्रमुख कारण प्रमुख हैं:

  • विकास कार्यों का असर: पिछले पांच वर्षों में बिहार में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली जैसे आधारभूत ढांचों में सुधार हुआ। जनता ने इन विकास कार्यों को वोट के माध्यम से सराहा।
  • सशक्त चुनाव रणनीति: भाजपा-जदयू गठबंधन ने चुनाव प्रचार में डिजिटल और सामुदायिक स्तर पर व्यापक अभियान चलाया, जिससे प्रभावी मतदाताओं तक पहुंच बनी।
  • महागठबंधन की कमजोरी: राजद, कांग्रेस और अन्य दलों के बीच मतभेद और विसंगति ने उनके चुनाव अभियान को कमजोर किया।
  • युवा मतदाताओं का समर्थन: युवाओं ने रोजगार व शिक्षा के मुद्दों को लेकर एनडीए के पक्ष में वोट किया।

महागठबंधन को बड़ा झटका

महागठबंधन, जिसमें राजद, कांग्रेस और कुछ अन्य दल शामिल हैं, इस चुनाव में अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाया। इनके कई प्रमुख नेता हार गए और गठबंधन की सीट संख्या उम्मीद के मुताबिक नहीं रही। राजद की कमजोर स्थिति ने कांग्रेस पर भी नकारात्मक प्रभाव डाला।

इस चुनाव के परिणामों ने बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है, जहां एनडीए की बढ़ती ताकत महागठबंधन के लिए चुनौती बन गई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि महागठबंधन को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा और राज्य में बेहतर संगठन कायम करना होगा ताकि आगमी चुनावों में वह मजबूत वापसी कर सके।

चुनाव नतीजों का राजनीतिक असर

बिहार के इस चुनावी नतीजे का न केवल राज्य बल्कि राष्ट्रीय राजनीतिक परिदृश्य पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। एनडीए की जीत से केंद्र सरकार को भी मजबूती मिली है। भाजपा की केंद्रीय स्थिति और जदयू के राज्य में प्रभावशाली नेतृत्व ने इस जीत को सुनिश्चित किया है।

राज्य में विकास, कानून व्यवस्था और सामाजिक कल्याण के मुद्दे अब एनडीए के नेतृत्व में नए सिरे से आगे बढ़ेंगे। विपक्षी दलों को भी चाहिए कि वे खुद को फिर से संगठित करें और जनता की अपेक्षाओं को बेहतर तरीके से समझें।

मुख्य आँकड़े और तथ्य

  • कुल विधानसभा सीटें: 243
  • NDA के तहत भाजपा-जदयू जीत: करीब 150+ सीटें
  • महागठबंधन की सीटें: लगभग 85-90
  • चुनाव में मतदान प्रतिशत: लगभग 60%
  • मुख्य हारे हुए नेता: राजद के कई वरिष्ठ मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार

नवीनतम राजनीतिक विकास

इस चुनाव परिणाम के बाद राज्य में मंत्रिमंडल गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री पद के लिए जदयू के प्रमुख का नाम मजबूत माना जा रहा है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिकाओं के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं।

राजद और कांग्रेस के नेताओं ने अपनी हार स्वीकार की है और भविष्य के लिए अपनी रणनीति बनाने का संकेत दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार आगामी महीनों में बिहार की राजनीति में कई नए क़दम देखने को मिल सकते हैं।

लेखक: India Zee News | स्रोत: विभिन्न चुनाव आयोग एवं मीडिया रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश में नशे की दवाओं के खिलाफ बड़ी कार्रवाई - करोड़ों की दवाएं जब्त

India Zee News उत्तर प्रदेश में नशे की दवाओं के खिलाफ बड़ी कार्रवाई - करोड़ों की दवाएं जब्त

उत्तर प्रदेश में नशे की दवाओं के खिलाफ बड़ी कार्रवाई, करोड़ों की दवाएं जब्त

India Zee News - उत्तर प्रदेश के कई जिलों में नशे के कारोबार के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई की गई है जिसमें करोड़ों रुपये मूल्य की नशीली दवाएं जब्त की गई हैं। इस कार्रवाई का नेतृत्व खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने किया है, जो नशा रोकने के लिए प्रदेश भर में कड़ी मेहनत कर रहा है।

उत्तर प्रदेश में नशे की दवाओं की जब्ती

कानपुर में छापेमारी और बड़ी बरामदगी

कानपुर में खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने छह जगहों पर छापा मारा जहां अग्रवाल ब्रदर्स और अन्य प्रमुख दवा वितरकों के गोदामों से कोडीन युक्त कफ सिरप, ट्रामाडोल टैबलेट्स सहित साढ़े सात करोड़ रुपये की नशीली दवाएं जब्त की गईं। गोदामों में वैध अभिलेख नहीं मिलने पर उन्होंने प्रशासन को जालसाजी का पता चला। छापेमारी के दौरान संबंधित गोदामों को सील कर दिया गया है और एफआईआर दर्ज कर आगे की जांच जारी है।

प्रदेश भर में अभियान की रूपरेखा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर यह अभियान पूरे प्रदेश में चलाया जा रहा है। 115 से अधिक मेडिकल प्रतिष्ठानों पर छापेमारी की जा चुकी है और कई मेडिकल स्टोर्स पर नशीली दवाओं की बिक्री पर रोक लगी है। विभाग ने अब तक कई आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया है। इस अभियान का मकसद उत्तर प्रदेश को नशामुक्त बनाना है जिसमें हर स्तर पर कड़ी सजा और कार्रवाई की जाएगी।

विशेष जानकारी और कार्रवाई आगे

स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने फेंसेडिल, कोडीनयुक्त कफ सिरप की तस्करी में शामिल गिरोहों को भी पकड़ने में सफलता हासिल की है। अन्य जिलों जैसे लखीमपुर खीरी, बहराइच, झांसी और गोरखपुर में भी इस तरह की कार्रवाई हुई है। नशे के कारण सामाजिक और स्वास्थ्य समस्याओं को खत्म करने के लिए सरकारी प्रयास लगातार जारी हैं।

नशा रोकने के लिए योगी सरकार की प्रतिबद्धता

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि नशा केवल एक अपराध नहीं बल्कि परिवार और समाज को तोड़ने वाली बड़ी समस्या है। उन्होंने कहा कि प्रशासन को पूरी ताकत से काम करना होगा ताकि इस राक्षस को जड़ से खत्म किया जा सके। एंटी-नारकोटिक्स टास्क फोर्स ने अब तक करोड़ों की नशीली दवाएं जब्त करके और सैकड़ों अपराधियों को गिरफ्तार करके इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है।

यह कार्रवाई प्रदेश में नशे की समस्या के खिलाफ एक सशक्त संदेश है कि अवैध दवाओं और नशा तस्करों के लिए कोई जगह नहीं है।

जम्मू पुलिस ने फरीदाबाद से संचालित आतंकी मॉड्यूल पकड़ा, हरियाणा के धर्म प्रचारक हिरासत में

India Zee News जम्मू पुलिस ने फरीदाबाद से संचालित आतंकी मॉड्यूल पकड़ा, हरियाणा के धर्म प्रचारक हिरासत में

जम्मू पुलिस ने फरीदाबाद से संचालित आतंकी मॉड्यूल पकड़ा, हरियाणा के धर्म प्रचारक हिरासत में

लेखक: India Zee News |

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने फरीदाबाद और आसपास के इलाकों में संचालित एक बड़े आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है। इस गिरफ्तारी अभियान में हरियाणा के मेवात क्षेत्र से एक धर्म प्रचारक को हिरासत में लिया गया है, जो इस खतरनाक आतंकवादी नेटवर्क में शामिल था। यह मॉड्यूल जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवत-उल-हिंद जैसे आतंकि संगठनों से जुड़ा हुआ पाया गया है।

पुलिस ने जानकारी दी है कि फरीदाबाद के धौज गांव में एक किराए के मकान से भारी मात्रा में विस्फोटक, हथियार और अन्य आतंकी सामग्री बरामद की गई है। अभियानों के दौरान सात संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें डॉक्टर, धार्मिक नेता और स्थानीय युवा शामिल हैं।

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हरियाणा पुलिस के साथ मिलकर संयुक्त ऑपरेशन में इस आतंकी नेटवर्क पर बड़ी कार्रवाई की। गिरफ्तार किए गए मुख्य आरोपियों में फरीदाबाद के एक विश्वविद्यालय से जुड़े डॉक्टर और धर्म प्रचारक भी शामिल हैं। जांच में पता चला कि ये लोग आतंकवादी पोस्टर लगाते थे और आतंक फैलाने की साजिश योजना बना रहे थे।

आतंकी मॉड्यूल की संरचना और गिरफ्तारी

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बताया कि ऑपरेशन में जम्मू, श्रीनगर, फरीदाबाद और सहारनपुर के विभिन्न इलाकों में छापेमारी की गई। जांच के दौरान यह भी पता चला कि आतंकवादी नेटवर्क में कई शिक्षित युवा, डॉक्टर और मौलवी शामिल थे, जो देश को अस्थिर करने की योजना में सक्रिय थे।

जांच में आए साक्ष्यों के अनुसार, पकड़े गए आतंकियों के पास से लगभग 360 किलो विस्फोटक, हथियार और आईईडी बनाने की सामग्री बरामद हुई। यह आतंकी मॉड्यूल लोकल और अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों के साथ कनेक्टेड था, जो देश में बड़े पैमाने पर हमलों को अंजाम देना चाहते थे।

फरीदाबाद पुलिस कमिश्नर ने बताया कि इस ऑपरेशन का उद्देश्य राजधानी दिल्ली समेत आसपास के इलाकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना था, जहां ये आतंकवादी हमले कर सकते थे। तेज़ कार्रवाई के लिए पुलिस गठित हुई और इस ज्वाइंट ऑपरेशन ने आतंकवाद को एक बड़ा झटका दिया है।

हरियाणा के धर्म प्रचारक की भूमिका

जांच के दौरान एक धर्म प्रचारक की भूमिका काफी संदिग्ध पाई गई है, जो फरीदाबाद के मेवात से संबंधित है। पुलिस ने बताया कि यह धर्म प्रचारक आतंकी मॉड्यूल में सक्रिय था और आतंक फैलाने के लिए युवाओं को भ्रमित करने का काम करता था।

धर्म प्रचारक द्वारा फैलाए गए गैरकानूनी और कट्टरपंथी विचारों ने इस मॉड्यूल की कार्यप्रणाली को मजबूत किया। पुलिस अब इसकी पूरी जांच कर रही है कि इस व्यक्ति ने किन किन लोगों को मॉड्यूल से जोड़ा और आतंकवादी गतिविधियों में उससे क्या योगदान मिला।

सुरक्षा एजेंसियों की भविष्य की रणनीति

सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हैं और इस तरह के मॉड्यूल्स की पहचान और निवारण के लिए लगातार काम कर रही हैं। आगामी समय में जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में विशेष सुरक्षा तैयारियां बढ़ाई जाएंगी ताकि आतंकवादी हमलों को समय रहते रोका जा सके।

जम्मू कश्मीर पुलिस ने आतंकवादियों को चेतावनी दी है कि वे छिप नहीं सकते और किसी भी स्थिति में सुरक्षा बल उन तक पहुंचेंगे। इस संयुक्त अभियान से आतंकवाद के खिलाफ प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रिमंडल की नीति को मजबूती मिली है।

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